VISHAKHA BOSE, New Delhi
मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मेरी पहली किताब "प्रकृति
के हर्फ़" पब्लिश होने वाली है। मन में कई तरह के
ख़यालात उमड़ रहे हैं कि पता नहीं लोगों को पसंद आएगी भी या
नहीं ? आशा है लोगों को पसंद आये, और वो मेरे कार्य को
सराहें। इस बात की भी उम्मीद है कि मैं ये किताब जिन्हें
समर्पित कर रही हूँ (रेखा जी) उन तक ये किताब किसी तरह
पहुँच जाये। अपने ये एहसासात मैं ग़ज़ल के लिबास में पेश कर
रही हूँ ……………
हृदय में बड़ी अजब सी अकुलाहट है,
ज़ेहनो-मन में अब जाने किसकी आहट है ?
बेक़रारी भी है तसल्ली भी
मुद्दत बाद होठों पे आयी मुस्कराहट है
मुंतज़िर है कि कब लम्स मिले अपनी किताब का
हरेक दिन एक अब्द गोया, ऐसे गुज़रता अब वक़्त है
मित्रों और आशकारों से कब रूबरू करवाये अपने ख़यालात
इस समय मेरे एहसास में इंतज़ार और उत्साह की मिलावट है
जिस शख़्स को समर्पित कर रही हूँ ये जस्बातों का सरमाया
किसी तरह उन तक पहुँच जाये बस इतनी सी हसरत है
चिंतित हूँ कि उन तक पहुंचेगा या नहीं, गर पहुँच
भी गया तो क्या उनको भाएगी जो मेरी इबारत हैं ?
आशा है आवाम को मेरे एहसासात सुकून पहुंचाए
"प्रकृति" तेरा हरेक कलाम ख़ुदा को पेशे-ख़िदमत है
विशाखा
बोस “प्रकृति”
May-2014
(Vishakha Bose from New Delhi having worked for IBM for
about 3 years is currently doing her M.A in Hindi.
“Prakriti Ke Harf” is her first book.)
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